SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 109
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ हैं तो उन्हें सलाह दूंगा कि वे फिर से विद्यालयों में जाएँ और लिखना-पढ़ना सीखें। वे उन विद्यालयों में जाएँ जहाँ जीवन के पाठ पढ़ाए जाते हों। शराब और सिगरेट आपको व आपके घर को खत्म कर रही है। आपके बच्चे को गलत संस्कार दे रही है। आजकल गुटखा खाने का फैशन चल पड़ा है। हमारे पास छ: आठ चार्टेड अकाउन्टेन्ट्स आये हुए थे। उनमें से एक को तलब आ गई। वह उठा, एक ओर गया, पाउच फाड़ा, गुटखा खाया और अपने साथियों को भी खिलाया। संयोग से वह खाली पाउच उड़कर मेरे पास आ गया। मैंने उसे उठाया। उस पर लिखा था-'वैधानिक चेतावनी-गुटखा खाने से कैंसर हो सकता है।' मैंने उस पाउच को उस सी.ए. बन्धु को दिखाया। वह उठा और एक ओर जाकर उसने सारा गुटखा थूक दिया। उसने अपने साथियों से भी ऐसा ही करने को कहा। उन्हें शायद सुधरना था इसीलिए वह खाली पाउच उड़कर मेरे पास आ गया। इसके बाद उन सभी ने संकल्प लिया कि अब वे गुटखा नहीं खाएँगे। गुटखा खाना अब उनके लिए विष्ठा खाने के बराबर होगा। ___अश्लील साहित्य, टी.वी. के अभद्र प्रोग्राम, घटिया फिल्में-इन सबसे बचें क्योंकि ये कुबुद्धि देते हैं। ऐसे कार्यक्रम, ऐसी फिल्में देखें जिन्हें सारा परिवार एक साथ बैठकर देख सके ।संभल सकें तो अभी संभलें। संभलने के लिए पहला काम यह करें कि जिन-जिन बातों से जीवन पर बुरा असर पड़ता है, उन-उन से बचें। अच्छी किताबें पढ़ें। अच्छे लोगों से दोस्ती करें। घटिया फिल्म, अश्लील कार्यक्रमों से स्वयं को बचायें। आज की अच्छी सोच, दृढ़ संकल्प जिंदगी भर के लिए निर्मल बुद्धि बना सकती है। अपशब्दों का प्रयोग न करें। शालीनता, प्रेम और मधुरता से बोलिये। जो अतीत का हुआ, वह तो गया, लेकिन आज के बाद अपनी कुबुद्धि और दुर्बुद्धि को हटाने के लिए अच्छा व्यवहार करेंगे और सभी को सम्मान देने का प्रयास करेंगे। ऐसा करना आपके लिए और सभी के लिए कल्याणकारी होगा। आप केवल पिता की नहीं, मित्र और शिक्षक की भूमिका भी निभाएँ । एक अच्छी संतान और एक अच्छे घर का निर्माण एक अच्छे समाज, अच्छे राष्ट्र और अच्छे विश्व के निर्माण की पहल है। १०२ वाह! ज़िन्दगी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003856
Book TitleWah Zindagi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2005
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy