SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 97
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीवीरविजयजीकृत चोसठप्रकारी पूजा. ७ निशा लदे रे, शेउवधू दृष्टांत ॥ स० ॥ निंदवियोगे केवली रे, श्रीशुजवीर जणंत ॥ स ॥ जिम ॥७॥ ॥ काव्यं ॥ अनशनं० ॥१॥ कुमतबोध ॥२॥ ॥अथ मंत्रः॥ ॥ श्री श्री परम ॥ श्रीणहीत्रिकदहनाय नैवेयं यः॥ वा०॥इति श्रीणहीत्रिकदहनार्थं सप्तम नैवद्यपूजा समाप्ता ॥ ७॥ १५ ॥ ॥अथाष्टम फलपूजा प्रारंनः॥ ॥ दोहा ॥ ॥ विविध फले प्रनु पूजतां, फल प्रगटे निर्वाण ॥ दर्शनावरण विलय हुवे, विघटे बंधनां गण ॥१॥ ॥ ढाल थाउमी ॥ राग फाग ॥ दीपचंदीनी चाल॥ ॥ होरी खेलावत कान्हश्या, नेमीसर संगे ले जश्या ॥ ए देशी॥ ॥ होरी खेदूं मेरे साहबिया, संगे रंगे सुण हो जश्या ॥ होरी० ॥ अबिर गुलाल सुगंध विखरीया, कनककचोली केसरीया ॥ होरी० ॥१॥ खारेक बीजोरां फल टेटी, पूजे फल थाले नरीयां ॥ फाग गान गुण तान बजैया, दर्शनावरण नये मरीयां ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003855
Book TitleVividh Puja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages512
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy