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श्रीवीरविजयजीकृत चोसप्रकारी पूजा. १ ॥ अथ द्वितीय चंदनपूजा प्रारंनः ॥
॥ दोहा ॥ ॥ उपदेशक नव तत्वना, प्रजु नव अंग उदार ॥ नव तिलके उत्तर नव, पगई टालणहार ॥१॥
॥ ढाल बीजी ॥ राग काफी, नायकी ॥ ॥ रसीया दिल दीठमी ज्योति जगार॥ ए देशी ॥
॥ तुज मूरति मोहनगारी, रसीया तुज मूरति मोहनगारी॥ अव्यह गुण परजाय ने मुजा, चजगुण पमिमा प्यारी ॥ र॥ तु० ॥ नयगम नंग प्रमाणे न निरखी, कुमति कदाग्रह धारी ॥र० ॥ तुन ॥१॥ जिनघर तीरथ सुविहित आगम, दर्शने नयण निवारी ॥ र०॥ तु॥ चकुर्दर्शनावरण कर्म ते, बांधे मूढ गमारी ॥ र ॥ तु ॥ २ ॥ काणा निशिदिन जात्यंधापणुं, पुःखीया दीन अवतारी॥ र० ॥ तु०॥ दर्शनावरण प्रथम उदयेथी, परजव एह विचारी ॥र ॥ तु॥३॥अल्प तेज नयनातप देखी, जूए श्राडो कर धारी ॥ र० ॥ तु० ॥ जाएं पूरव नव कुमतिनी, हजीय न टेव विसारी॥ र ॥ तु ॥ ४॥ जयणायुत गुरु आगम पूजो,
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