________________
५४
विविध पूजासंग्रह जाग प्रथम.
॥ अथ एकादश पुष्पगृदपूजा प्रारंभः ॥ ॥ दोहा ॥
॥ फूल गेनी पूजना, एकादशमी होय ॥ कुसुमघरे प्रथापीने, हर्षे न वियण लोय ॥ १ ॥ फूलह केरे घर बिचे, सोहे श्री जिनराय ॥ जेम तारामां चंदलो, जोतां हर्ष न माय ॥ २ ॥ ॥ गीतं ॥
॥ फूलघर बेठे जगत दयाल, जल थल कुसुम तपीरी परिमल, गुंजे मधुकर माल ॥ फूलघर बेठे जगत दयाल ॥ १ ॥ श्राबे कुसुम बनाये तोरण, तामें जातिघणी ॥ किनही सुजाण निपायो मंगप, जिनवर नक्ति जी ॥ फूलघर० ॥ २ ॥ कायकुं जाति केदारो गोडी, सुर नर जति जरी ॥ असंख्यगणुं फल अग्यारमी पूजा, करतां एक घरी ॥ फूलघर० ॥ ३ ॥ ॥ काव्यं ॥ उपेंद्रवज्रावृत्तम् ॥
॥ पुष्पावली जिः परितो वितत्य, पुरंदरः पुष्पगृहं मनो ॥ पुष्पायुधाजेय जयेति जल्प, - न्नेकादशी मातनुते स्म पूजां ॥ १ ॥ इति पुष्पगृहपूजा एकादशी ॥ ११ ॥
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org