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________________ नवपदपूजाध्यापन विधि. ? ५ बीजं सिद्धपद रक्त वर्णे बे, माटे गहुँ रकेबीमां धरी, श्रीफल तथा अष्ट अव्य लश्ने नव कलश पंचामृतथी नरीने बीजी पूजा नणे. ते संपूर्ण थयाथी " ही णमो सिस्स” एम कही कलश ढोले, श्रष्ट अव्य चढावे. इति द्वितीयपदपूजाविधिः ॥ ३ त्रीजु आचार्यपद पीले वर्णे , माटे चणानी दाल, अष्ट अव्य,श्रीफल प्रमुख लक्ष,नव कलश पंचामृतत्री नरीने त्रीजी पूजानो पाठ लणे, ते संपूर्ण थयाश्री" ही णमो आयरियाणं" एम कही कलश ढोले, अष्ट अव्य चढावे. इति तृतीयपदपूजा विधिः॥ ४ चो| उपाध्यायपद नील वर्णे ने, माटे मग प्रमुख तथा अष्ट अव्य लश्ने पूर्वोक्त विधिए पूजा जणी संपूर्ण थयाथी “उँ ही णमो उपाध्यायेच्यः"एम कही कलश ढोले,अष्ट प्रव्य चढावे. इति च० पू० विधिः॥ ५ पांचमुं श्रीसाधुपद श्याम वर्णे , माटे श्रमद प्रमुख लश बीजो सर्व पूर्वोक्त विधि करी पूजा नणे. ते संपूर्ण थयाथी " ही णमो सर्वसाधुन्यः" कहे. इति पंचमपदपूजाविधिः ॥ ६ तेमज बहुं दर्शनपद श्वेत वणे , माटे तांडुल वि०३१ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003855
Book TitleVividh Puja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages512
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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