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________________ ४७४ विविध पूजासंग्रह नाग प्रथम. ३ पंचवर्णी फूले जाली नरीए, ४ पंचांग धूप, ५ बे दीवेटना दीपक, एवा एकसो ने त्रण दीपक करीवंशमाले धरीए,६श्रदत पंचवर्णा चोखा, नैवेद्य, फल॥ ॥ सप्तम दिवसे गोत्रकर्मनिवारणार्थ वस्तु ॥ ॥ केशरनुं पाणी, २ चंदन, केशर, ३ विविध फूल, ४ अगरबत्ती धूप, ५ बे दीवेटनो दीपक, ६ गोधूम, अक्षत, ७ नैवेद्य, ७ फल ॥ ॥ अष्टम दिवसे अंतरायकर्म निवारणार्थ वस्तु ॥ ॥१ पंचामृत जल, २ केशर, ३ मालती जाश्नां फूल, ४ अष्टांग धूप, ५ पांच दीवेटनो दीवो, एमज वली अहीं एकसो ने अहावन दीपकनी श्रेणि वंशमाले धरीए, ६ तंडुलना नंदावर्त्तक रकेबीमां करीए, ७ नैवेद्य, G फल ॥ ॥एम श्राप दिवस नैवेद्य ने फल नव नवां धरी ए. ए रीते ए आठ दिवसमां चोसठ पूजा पूर्ण थाय, तथा नित्य संघनी वात्सल्यता अने गुरुत्नक्ति करवी, ज्ञानोपकरणादि करवां, रात्रिजागरण करवां, प्रनावना करवी, याचकने दान आप, इत्यादिक विधि पूणे वृदने महोत्सव सहित देरासरमां पधरावधं ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003855
Book TitleVividh Puja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages512
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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