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________________ श्रीअढीसें अनिषेकनो कलश. ४३३ रवि दो शशी, लवणना चार अधीश रे॥नमो॥२॥ धातकी खंमना छादश रवि शशी, कालोदधि बियाला रे॥ तदनंतर उत्तरना शशी रवि, स्नात्रकार उजमाला रे ॥ नमो० ॥३॥ बासठ अनिषेका दक्षिणना, गसठ उत्तर केरा रे ॥सर्व मली एकसो ने बत्रीश, करतां सुख अधिकेरां रे॥ नमो ॥॥ त्यारपती त्रायत्रिंश सामानिक, अंगरक्षक ने अन्निका रे ॥ परषद् ने पन्नग सुर केरा, लोकपाल अनिषेका रे ॥ नमो ॥५॥ सोहमपतिनी आउ खाणी, पद्मा शिवादेवी रे ॥शची अंजू अमलो अप्सरा, नवमीका रोहणी लेवी रे ॥ नमो ॥६॥शाने तणी पण आठे, कृष्ण ने कृष्णारा रे॥रामा रामरदिता देवी, वसु वसुगुप्ता गारे ॥ नमो० ॥७॥ वसुमित्रा वसुंधरा जाणो, बेहु मलीने सोल रे ॥ आठ दक्षिणना आठ उत्तरना, अनिषेका रंगरोल रे ॥नमो॥७॥ तदनंतर चमरेंजनी देवी, काली राति रयणी रे ॥ विजु ने मेहा ए पांचे, दक्षिणवर इंशाणी रे ॥ नमो ॥ए॥ तेम बलिहारिनी पण पांचे, शुजानी ने शुजा रंजा रे ॥ निरंजा देवी ने मदना, ए पांचे गतदंना रे ॥ नमो० ॥ १० ॥ एहना पण जे दश वि० २८ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003855
Book TitleVividh Puja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages512
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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