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श्रीसकलचंदजीकृत एकवीशप्रकारी पूजा. ३५७ ॥ अथ तृतीय चंदनपूजा प्रारंनः॥
॥ दोहा ॥ ॥ शीतल गुण जेमा रह्यो, शीतल जिन सुखसंग ॥ चंदन घन शुज सारशें, पूजीजे मनरंग॥१॥
॥ध्रुवपदं ॥ आशावरीरागेण गीयते ॥ ॥बावनाचंदन,घसी घनसारशुं,कनककचोली,लेश्ए ए॥वास सुवास, बरास नेलीने, सुरनिवर कस्तूरी, देशए ए॥बावना॥१॥ए आंकणी॥प्रथम चरणमे, पूजी जानू करे,अंश शिर जालमां, सोहीए ए ॥कंठ हृदि उदर,नव दीजीए,एणी विधेप्रनुपूजा, मोहीए ए ॥ बावना० ॥२॥सादिक परे, केम हम होवत, तोनी हम तुम, संगीए ए॥ देवी देवादिक, गात्र विलेपीने, सकल पुरित जय, जंजीए ए ॥बावना ॥३॥ इति तृतीय चंदनपूजा समाप्ता ॥३॥ ॥ अथ चतुर्थ पुष्पपूजा प्रारंनः ॥
॥दोहा॥ ॥ जाई जुई सेवंतरी, प्रफुद्धित वेली विशाल ॥ जिनचरणे चढावतां, कुरित हरे तत्काल ॥१॥
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