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________________ श्रीधर्मचंद्रजीकृत नंदीश्वरद्वीपपूजा. ३० चैत्य दीठ ॥ मन० ॥ अरिहंतनी प्रतिमा सार ॥ मन० ॥ लोकपाल सघला तिहां मली ॥ मन० ॥ करे निषेक कड़े तार ॥ मन० ॥ ८ ॥ तेम श्रावक मनरंगशुं ॥ मन० ॥ जिनवरने करो अभिषेक ॥ मन० ॥ कहे धर्मचंद्र जिन पूजतां ॥ मन० ॥ पामीए शिवगतिने एक ॥ मन० ॥ ए ॥ काव्यं ॥ स्नात० ॥ ॥ इति पंचमानिषेके पंचम पूजा समाप्ता ॥ ५ ॥ ॥ अथ षष्ठ पूजा प्रारंभः ॥ ॥ दोहा ॥ ॥ चंद्रकला बमण कर्या, होय रतिकर मान ॥ तिहां जिनचैत्ये मूरति पांचसें धनुष्य प्रमाण ॥ १ ॥ जुवनपति व्यंतर तथा, ज्योतिषीना वली देव ॥ वैमानिक सुरवर इहां, करे जिनवरनी सेव ॥ २ ॥ ॥ ढाल सातमी ॥ राग सारंग ॥ ॥ जिनराज पूजी लाहो लीजीए ॥ ए श्रकणी ॥ ॥ शिवसुखनो निलाष करो तो, जिनयाणा शिर वहीजीए ॥ जिन० ॥ वाव्य वाव्यना अंतर वच्चे, रतिकर दो दो लही जी ए ॥ जिन० ॥ १ ॥ दश सहस्स जोयण लांबा पहोला, एक सहस्स उंचा कहीजीए ॥ जिन० ॥ पद्मराग मणिनां जे दीपे, जलरी - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003855
Book TitleVividh Puja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages512
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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