SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 311
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीधर्मचंद्रजीकृत नंदीश्वरछीपपूजा. ३०३ ॥ ढाल त्रीजी॥ ॥ ए व्रत जगमां दीवो मेरे प्यारे॥ए॥ए देशी ॥ ॥दक्षिण दिशिए अंजनगिरिजे, नामे ते नित्योद्योत ॥ चमर सम जे श्याम रतन, तेहनी डे बहु ज्योत ॥ मेरे प्यारे, वंदो बे कर जोमी॥१॥श्री नंदीश्वर चैत्यने पूज्यां, नाखे कर्मनेत्रोमी ॥ मेरे ॥ ए श्रांकणी॥ तिहां प्रासादछार चार जे, ते जंचां जोयण सोल ॥ आठ जोयण विस्तारे ने तेम, प्रवेश जोयण श्राप बोल ॥ मेरे ॥२॥ चार दीव एक एक मुखमंगप, ते वली पडसाल सरिखा ॥ते आगल प्रेदामंप जे, घर समझानीए निरख्या॥मेरे॥३॥ए मंडप जोयण सो लांबा, पहोला जोयण पच्चास ॥ सोल जोयणना ऊंचा जाख्या, सुणतां होय उदास ॥ मेरे ॥४॥ बेहु मंडपे त्रण त्रण हार, ते वली कह्या चार चार ॥ हवे प्रेक्षामंम्प मध्ये, वज्र अदाटक सार॥मेरे ॥५॥ते मध्ये मणिपीठिका एक पहोली, लांबी जोयण श्रा॥ चार जोयणनी उंची जाणो, जीवानिगमे ए पाठ ॥ मेरे ॥६॥ ते उपर हरि योग्य सिंहासन, चं वे काक ऊमाल ॥ वच्चे वजने आंकडे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003855
Book TitleVividh Puja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages512
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy