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________________ विविध पूजासंग्रह जाग प्रथम. कुसुमांजलि तहिं संविय ॥ पसरंत दिसि परिमल सुगंधिय ॥ जिणपयकमले निवडे | विग्धहर जस नाम मंतो ॥ अनंत चडवीस जिन॥ वासव मलियासेस ॥ सा कुसुमांजलि सुहकरो ॥ च विह संघ विसेस ॥ कुसुमांजलि मेलो चडवीश जिणंदा ॥ १३ ॥ ॥ नमोऽई सिद्धाचार्योपाध्याय सर्व साधुच्यः ॥ ॥ कुसुमांजलि ॥ ढाल ॥ ॥ अनंत चडवीसी जिनजी जुहारुं। वर्त्तमान चडवीसी संजारुं ॥ कुसुमांजलि मेलो चोवीश जिणंदा ॥ १४ ॥ ॥ दोहा ॥ ५ ॥ महाविदेहे संप्रति, विहरमान जिन वीरा ॥ नक्तिनरे ते पूजीया, करो संघ सुजगीश ॥ १५ ॥ ॥ नमोऽई सिद्धाचार्योपाध्याय सर्व साधुज्यः ॥ ॥ कुसुमांजलि ॥ ढाल ॥ ॥ परमं गलि गीत उच्चारा ॥ श्री शुजवीरविजय जयकारा ॥ कुसुमांजलि मेलो सर्व जिणंदा ॥ १६ ॥ इति श्रीकुसुमांजलयः ॥ ॥ चप्रथ कलश ॥ दोहा ॥ ॥ सयल जिणेसर पाय नमी, कल्याणक विधि तास ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003855
Book TitleVividh Puja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages512
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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