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विविध पूजासंग्रह जाग प्रथम
अंग धरावे ॥ कुसुमांजलि मेलो यदि जिणंदा ॥ सिद्धस्वरूपी यंग पखाली, आतम निर्मल हुइ सुकुमाली || कु० ॥ ४ ॥
|| गाथा आर्या गीति ॥
मचकुंद चंप मालइ ॥ कमलाई पुप्फ पंच वसाई ॥ जगनाद न्दवणसमये ॥ देवा कुसुमांजली दिंती ॥ ५ ॥ ॥ नमोऽई सिद्धाचार्योपाध्याय सर्वसाधुच्यः ॥ ॥ कुसुमांजलि ॥ ढाल ॥
॥ रयण सिंहासन जिन थापीजे ॥ कुसुमांजलि प्रभु चरणे दीजे ॥ कुसुमांजलि मेलो शांति जिणंदा ॥ ६ ॥ ॥ दोहा ॥
॥ जिए तिहुं कालय सिद्धनी, पमिमा गुणजंकार ॥ तसु जरणे कुसुमांजलि, जविक डुरित हरनार ॥ ७ ॥ ॥ नमोऽई सिद्धाचार्योपाध्याय सर्वसाधुभ्यः ॥ ॥ कुसुमांजलि ॥ ढाल ॥
॥ कृष्णागरु वर धूप धरीजे ॥ सुगंध कर कुसुमांजलि दीजे ॥ कुसुमांजलि मेलो नेमि जिणंदा ॥ ८ ॥
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