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________________ १० ) निरा . जित अयोध्या ठाम, गज लांबन प्रणमुं म जितशत्रु विजया राणीनो पुत्र, जेणें जीत्यां स घलां सूत्र ॥ ४ ॥ त्रीजा संजव सुखदाता र, साव यी नगरी अवतार ॥ पिता जितारथ सुसेना मा य, हयलांबन सोवनमय काय ॥ ५ ॥ चोथो चउगति गंजण स्वाम, विनीता नगरी जेनुं हाम ॥ समर पिना सिद्धारथ माय, कपिलांबन अजिनंदन राय ॥ ६ ॥ समरुं सुमति जिणेसर देव, लांबन क्रौंच करेजस सेव ॥ नगरी जास नली कोशला, मेघ पितामाता मंगल ॥ ७ ॥ कोसंबी नगर धर राय, राणी सुसीमा जेहनी माय ॥ पद्मप्रभु बघा जिनराय, पद्म लांबन राता पलकाय ॥ ८ ॥ स्वस्तिक लांबन स्वामी सुपा स, तूहा टाले गर्जावास ॥ पद्मनरेसर पुहवी माय, वणारसी नगरी वरवाय ॥ एए ॥ शशी लांबन चंद्रप्रनदेव, चोसह इंद्र करे जसु सेव महसेन पिता माता लखमणा, नगरी जेनी चंद्राना ॥ १० ॥ काकंदी नगरी निराम, लांबन मकर सु विधि जिननाम ॥ सुग्रीव पिता माता जसा नाम, पुफ्पदंत जिए बीजोनाम ॥ ११ शीतल सहेजें सु ख दातार जदलपुरस्वामी अवतार ॥ दृढरथ राजा For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org Jain Educationa International
SR No.003854
Book TitleVidhipaksh Gacchiya Shravakna Daivasikadik Panch Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1895
Total Pages220
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size13 MB
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