SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 9
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ न आनडे । शीलें शीतल आग ॥ शीलें अरि करि के सरी। जय जावे सब जाग ॥ ३३ ॥ शील रतनके पा रखं । मीठा बोले बैन ॥ सब जगसे उंचा रहे। जो नीचा राखे नैन ॥ ३४ ॥ तन कर मन कर वचन कर । देत न कादु कुःख ॥ कर्म रोग पातक जरे । देखत वाका मुख ॥ ३५ ॥ इति ॥ ॥दोहा॥ ॥ पान ख़रते इम कहे । सुन तरुवर वनराय ॥ अबके बिबुरे कब मिलें । दूर पडेंगे जाय ॥ १ ॥ तब तरुवर उत्तर दीयो । सुनो पत्र एक बात ॥ इस घर एहीरीत है। एक आवत एक जात ॥ २॥ वर स दिनाकी गांठको । हव गाय बजाय ॥ मूरख न र समजे नही। वरस गांठको जाय ॥३॥ ॥ सोरतो॥ ॥ पवन तणो विश्वास । किरण कारण तें दृढ की यो॥ इनकी एही रीत । आवे के आवे नही ॥४॥ ॥दोहा॥ - ॥ करज बिरानां काढके । खरच किया बहु नाम ॥ जब मुदत पूरी हूवे । देनां पडशे दाम ॥ ५ ॥ बि मुंबीयां छूटे नही। यह निश्चय कर मान ॥ हस ह Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003852
Book TitleBruhadaloyana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1891
Total Pages28
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy