SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 75
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २-भाषा समिति स्वाध्याय १---साधु जी बीजी समिती घरो, निर्दोष वचन नो प्रकाश निश्चय थी गुप्ति नो प्रकाश, व्यवहार मार्ग नो विलास ते भाषा समिति कहाइ । २---सत्य वचन नु' मूल ए भाषा ते बीजा महाब्रत नी भावना छई जे थकी भाव अहिंसक पणु वधे सर्व थी संवरपणा ने अनुकूल ए भाषा छ । ३---मौनधारी मुनि छे ते आश्रव नु घर एह, वचन बोले नहीं, जेहथी ज्ञान : ध्यान नी आचरणा नु साध थाई तेहवो उपदेश दीइ। ४--जे भाषा पर्याप्ति नो उदय थयो तेथी वचने करी श्रुत ने अनुसार सज्झाय करें तेथी अर्थरूप बोध नो प्रागभाव प्रगटें तेणे करी जगत ने उपगार करे छई। ५-मुनि आत्मवीर्य थी परनु ग्रहण अने त्याग ते न करें पर मां न पैसे, ते भणी वचन गुप्त रहें ए मुनि नो निश्चय मार्ग छई। ६-जे आश्रव थानक नो योग हतो ते निर्जरा रूप को लोह थी जे कंचन थाई तिम ज्ञान रूप साधन साधतां मुनि सर्व निर्जरा रूप करें। - ७-पोताने अने परने हितमा: वाचनादिक ५ प्रकार सज्झाय करें ते सारू, आहार अने वस्त्र पात्र औषध करे ते सर्व अपवाद पर्दै छइ । ८-जिन गुण नी स्तवना अने आत्म तत्व नें देखवा भाषा नो रोध करी उहरग थी भाषा गुप्ति धरइ अर्ने भाषा समितिइ देसना दीइ ते भव्य ने प्रतिबोधव अर्ने आत्मिक ज्ञान करवा ते वाचना सझाय कहीइ । ६-७नय, अनेक गमा, ७ भंगी ४ निक्षेपा, ते स्याद्वाद मिलीई आत्महित, प्रगटें एवी श्रुत वाणी, सोल बोलें सहीत १० प्रकारे सत्य वलि ४ गुणे मलती ते आक्षेपणी प्रमुख ४ गुण, ए अनुयोगद्वार सूों का Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003829
Book TitleAsht Pravachanmata Sazzay Sarth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherBhanvarlal Nahta
Publication Year1964
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy