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(१६७) धूप-दशमी रहस्य राजपुर, सुगन्ध-दशमी १-६-६०
भादवा सुदि १० सं० २०१६
राग-पूर्वी मैं ऊजव, धूप-दशमी व्रत चंग;
प्रगटी अनुभव गंग.. मैं.. तन-मन्दिर ज्ञायक वेदी स्थित, चिन्मूरति सरबंग ; दश दिशि-अंबर तान चंदोवा, छत्र त्रिरत्न अभंग- म०१ गुरुगम-बल षट्-चारों भेदत, चक्र-व्यूह क्रम अंग ; चक्र-चक्र प्रगटे चिद् ज्योति, दश दीपक मन रंग...२ महाशान्ति अभिषेक सुधारा, सुधा-वृष्टि उत्तमंग ; प्रतिचक्र कमलाकृति विकसत, महके दिव्य-सुगंध.. मैं० ३ दशों द्वार दश-मुख घट संवर, खेवू धूप-दशांग ; उडत धूम्र कार्मण आरति,-दश-शिख दश-ध्वज रंग ""मैं० ४ दिव्य ध्वनि दश भेद संगीते, पढ दश पूजा उमंग ; धान्य-सप्त धातु स्वस्तिक कर, मेट चौगति-संग.. म०५ सुगंध-दशमी पर्व उद्यापन, रहस्य यही अंतरंग; अनुभव पथ पावे कोई बिरला, सहजानन्द सुरंग...म०६
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