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करो हष शोक शानो ? तज मोह रे अभागी! निज दोष थी बंधायो, छटे ए दोष त्यागी...४ समभाव थी सही ले, राख्या रहे न कर्मों; आवे तने छोडववा, था केम तू निशर्मों ! ५ अने न जो तने जो, सहजात्म स्वरूप द्रष्टा; स्थिर ज्ञान मां ठरे तो, छो सहजानन्द स्रष्टा...६ (१२६) ब्रह्मचारी जी के प्रश्नों के उत्तर (१) अगास से ब्रह्मचारी गोवर्द्धनदासजी का प्रश्नमय दोहा :-प्रश्न : अक काय बे रूप थई, एक रहे परघात !
मरेलो हणे जीवतो, उत्तर द्यो ! शी बात ? गुरुदेव का उत्तर :-घाति अघाति रूप बे, कर्म वर्गणा एक।
__ मरी मारे धुर अन्य ने, उत्तर एज विवेक ।। आत्मा ना छः कारक स्वतंत्र थता आत्मा पोते पोता बड़े पोता माटे पोतामां थी पोता मां पोतानेज जोतो जाणतो थको विलसी (रमणता-करी) रह्यो छ । (२) एक लघु कथा पर ब्रह्मचारीजो ने गुरुदेव को लिखा जिस पर विशेष विवरण करते हुए गुरुदेव ने निम्नोक्त दोहे लिखे :
माल बोकडो खाय ने, खाय मांकडो मार; मन मारी तन मां रहे, संत विरल संसार...१ माल मांकड़ो खाय ने, खाय बोकड़ो मार; तेम क्रिया जड़ तप तपी, तन सुकवे मन प्यार...२
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