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प्रस्तावना
इस चिंतामणि पार्श्वनाथ मंदिर के प्रतिमा लेख जो भंवरलाल ने बम्बई जाने पर नकल किये थे, उन्हें भी यहाँ प्रकाशित किया जा रहा है। कुछ प्रतिमा लेख पच्ची में दब जाने आदि के कारण नहीं लिए जा सके । उन्हें संभव हुआ तो अगले संस्करण में दिये जायेंगे।
बम्बई के चिंतामणि पार्श्वनाथ मंदिर के ट्रस्टी महोदयों को, इस मंदिर के बनाने की प्रेरणा और प्रतिष्ठा करने वाले वाचक अमर सिंधुर जी की प्राप्त रचनाओं को प्रकाशित करने के लिए कहा गया तो उन्होंने भी इसे आवश्यक कर्त्तव्य समझ कर मंदिर जी के फण्ड से ही प्रकाशित करने की स्वीकृति दे दी इसके लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं। आशा है भविष्य में भी वे जैन साहित्य के प्रकाशन में इसी प्रकार सहयोग देते रहेंगे। महोपाध्याय श्री विनयसागर जी ने प्रफ्र संशोधन कर इसे शीघ्र प्रकाशित करने में सहयोग दिया इसके लिए हम उनके आभारी हैं।
अगरचन्द नाहटा भँवरलाल नाहटा
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