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बम्बई चिन्तामणिपार्श्व-स्तवन ( ५३ ) उपकारी जांणी में अमंद,
फणि मिस सेवा सारै फुणिंद । जग० ॥४॥ सीतल सुखदाई सरद चंद,
वंद मुनिजन जाकै चरण वृन्द । जग०॥शा फैडीनै साहिब दुरत फंद,
"अमरेस" भणी दीजै पाणंद । जग० ॥६॥
चिन्तामणि-पाच-स्तवन
राग-सोरठ वण्यो री म्हार या प्रभू सै रंग, वण्यो री । अभिनव नेह लग्यो जिनजी सै,
पलक न छोड़े संग। वण्यो री॥१॥ प्रीत रीत निरविष बहु बाधी,
जिम पोयण में भृङ्ग। वण्योरी०॥२॥ "श्री चिंतामणि" दरस परसते,
भयोरी पातिक को भंग । वण्यो री०॥३॥ सुंदर सूरत मूरत निरखी,
बाधी रंग तरंग । वण्यो री०॥४॥ आलसूत्रांने सनमुख पाई,
जाणै बहिनें गंग । वण्यो रो॥॥
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