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( ३२ ) बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह चिन्तामणि-पार्श्वनाथ-स्तवन
राग-मधुर बसन्त मेरे चिंतामणिजी के चरणकमल युग, नमतां नवनिध पावै । नमतो नवनिध पावै,,
चरणयुग नमतां नवनिध पावै । श्री चिंता। अष्ट सिद्धि अणचिंती आवै,
लीला लाछ सुहावै । श्री चिंता०।१। सोम निजर सहुनें संपेले,
महिरवांन सम भावै। श्री चिंता। सरस सरस दौलत दरसोवै तो,
पातिक दूर पुलावै । श्री चिंता०।२। सुख सागर नागर नित बाथै,
भारत निकट न आवै । श्री चिंता। अतिसयवंत महंत है साहिब,
लायक विरुद लहावै । श्री चिंता०३। जग नायक जयवंत जगतपति,
सिंघ सकल मन भावे । श्री चिंता। "ममुईपुर" वसीयो प्रभु मेरो,
'अमर' आणंद बधावै । श्री चिंतो०१४।
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