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( २८ ) बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह
ए मिंदर हो रहो अचल आणंदकि, थिर जिम सुर गिर सासता । चिंतामणि हो पूजे ज्यों जामकि, अधिक वधे ज्यों अासता । सुप्रसन मन हो सेवो प्रभु पायक, त्या सुप्रसन्न जदा तदा। हुवो या घरहो सुख संपत धामक, वधज्यो मंगल मालिका ।सु.१०।
चिन्तामणि-प्रासाद-निर्माण-स्तवन
राग-फाग निरुपम मिंदर भल निपजायो । निरुपम । दंड कलश वर धजा विराजै,
सिंघ सकल कै मन भायो ।। निरुपम जिहां "चिंतामणि" जिनवर राजै,
दरस सरस कर सुखपायो ।२। निरुपमः। तीन लोक तारक भय वारक, . धणी एक चित में ध्यायो ।३। निरुपम नायक लायक है वर दायक,
___ फणिपति लंछण कहिवायो।४। निरुपम "कोठारी" कुल मंडण कहिये,
"अमरचंद" ध्रम बुध लायो । निरुपम लखमी लाह लियो भल लायक,
सुजस सहु जन मिल गायो।६। निरुपम
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