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होरी
होरी
( पुनः राग अड़ाणौ मैं बसंत )
इति श्री
भलाई होरी, भल आई होरी | सुगुणि प्रिया से लगी रंग डोरी, भल० सुगुणि० । या चाहत मेरो हेत हीया को,
मैं चितरो लीधो चोरी री । भल० | १| सु० । भलोरी चाहत मेरे घर को भोरी,
मोकुं ललचायो बहु लहुरी | भल०|२| सु० | माल हमारो सब मुसखायो,
कुमत नार की लहि खोरी री | भल० / ३ | सु० । पछताय के घर पीछे आए,
जुगति जांगीर जोरी री | भल० |४| सु० । अब इनसे इकलास भयो है,
काटेंगे दोहग दुख की कोरी री | मल ०|५| सु० । प्रिउ प्यारी रस रंग रमतां,
'अमर' अनोपम भल होरी री । भल० । ६ । सु० |
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( १४१ )
१८ सं० । १८ रा मिती फागुण सुदि १५ भृगुवारे ।
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