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( ६ ) बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह
जिनकुशलसूरि गीत
राग-काग
जय बोलो कुशल सुरीसर की, जय बोलो। नरनारी मिल फाग राग में,
गुण गावो निस दिन हरखी। जय० ॥१॥ जैतसिरी माता भल जायो,
सूरत देव कँवर सरखी । जय० ॥२॥ मंत्री जेल्हागर कुल मंडण,
गुण मणि ग्रह्या जिण आकरषी । जय० ॥३॥ वरस अढार में जिण व्रत लीनौ,
हित धर के मन में हरखी । जय० ॥४॥ चंद पटोधर ए चिरजीवो,
बलिहारी राजेसर की। जय० ॥ भृमंडल भविजन प्रतिबोधे,
वाणि सुधारस धन वरषी । जय० ॥६॥ तेर नयासी वरषे ततखिण,
सुरपति मघवा दुति सहरषी । जय०७। 'अमरसिंधुर' ए अनुपम साहिब,
नमो सदा पद युग निरखी । जय० ।।
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