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श्री जिनकुशलसूरि चरित्र, सं० १६६८ में २१० श्लोकों में मणिधारी श्रीजिनचन्द्रसूरि चरित्र एवं सं० २००५ में ४६८ श्लोक मय श्री जिनदत्तसूरि चरित्र काव्य की रचना की। .
सं० २०११ में श्री जिनरत्नसूरि चरित्र सं० २०१२ में श्रीजिनयशःसूरि चरित्र, सं० २०१४ में श्री जिनऋद्धिसूरि चरित्र, सं० २०१५ में श्री मोहनलालजी महाराज का जीवन चरित्र श्लोकबद्ध किया। इस प्रकार आपने नौ ऐतिहासिक काव्यों के रचने का अभूतपूर्व कार्य किया। इनके अतिरिक्त आपने सं० २००१ में आत्म भावना सं० २००५ में द्वादश पर्व कथा, चैत्यवन्दन चौवीसी, वीसस्थानक चैत्यवन्दन, स्तुतियें और पांचपर्व-स्तुतियों की भी रचना की। सं० २००७ में संस्कृत श्लोकबद्ध सुसढ चरित्र का निर्माण व २००८ में सिद्धाचलजी के १०८ खमासमण भी श्लोकबद्ध किये।
__ आपने जैनमन्दिरों, दादावाड़ियों और गुरु चरण मूर्तियों की अनेक स्थानों में प्रतिष्ठाए करवायी। आपके उपदेश से अनेक मंदिरों का नव निर्माण व जीर्णोद्धार हुआ। सं० १९७३ में पणासली में जिनालय की प्रतिष्ठा कराई। सं० २०१३ में कच्छ मांडवी की दादावाड़ी का माघ बदि २ के दिन शिलारोपण कराया। सं० २०१४ में निर्माण कार्य सम्पन्न होने पर श्री जिनदत्तसूरि मन्दिर की प्रतिष्ठा करवायी और धर्मनाथ स्वामी के मन्दिर के पास खरतर गच्छोपाश्रय में
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