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महोपाध्याय समयसुन्दर
भाषा टीका:- षडावश्यक बालावबोध३८ । भाषा रास-साहित्यः- शांब प्रद्युम्न चौपाई३६, दानादि चौढालिया,
चार प्रत्येक बुद्ध रास४१, मृगावती रास.२,
सिंहलसुत प्रिय मेलकरास४३, पुण्यसार३८ "श्रीमज्जेसलमेरुदुर्गनगरे, पूर्व सदा वासितश्चत्वारश्चतुरा अमीकृत चतुर्मास्यां मया पाठिताम् ।२। X X
X कल्याणाभिधराउल क्षितिपतौ राज्यश्रियं शासति,
श्रीमविक्रमभूपतेस्त्रिवसुषट्न्नौ संख्यके वत्सरे।" ३६ “श्री संघ सुजगीस ए, हीयडइ अ हरख अपार ।
थंभण पास पसाउलइ, खम्भायत सुखकार ।। सुखकार संवत् सोल एगुणसहिविजय दशमी दिनह ।
एक बीस ढाल रसाल ए प्रन्थ रच्यउ सुन्दर शुभ मनइ ॥" ४० "सोले सै बासठ समै रे, सांगानेर मझार ।
पद्मप्रभू सुपासउलै रे, एह थुण्यो अधिकारोरे। धर्म हिये धरो" ४१ "सोलसइ पांसठि समइए, जेठ पूनिम दिन सार,
चउथउ खंड प्रउ थयउ ए, आगरा नयर मझार, विमलनाथ सुपसाउलइ ए, सानिधि कुशल सूरिंद,
च्यारे खंड पूरा थया ए, पाम्यउ परमानन्द"। ४२ 'सोलसई अड़सठी वरषे, हुई चउपइ घणे हरषे बे,
मृगावती चरण कया त्रिहुँ खण्डे, घणे आनन्द घमण्डे बे।।। सहर बड़ा मुलताण विशेषा, कान सुण्या अब देखा बे, सुमतिनाथ श्री पासजिणंद मूलनायक सुखकन्दा बे ।२।" "संवत् सोल बहुत्तरि, मेडता नगर मझारि, प्रिय मेलक तीरथ चौपइ रे, कीधी दान अधिकार ॥२५॥ कचरौ श्रावक कौतकी रे, जेसलमेरि जाणो, चतुरे जोडावी जिणि ए चोपइ रे, मूल आग्रह मूलताण ॥२६॥"
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