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क्षुल्लक ऋषि रास (५६६ ) लाख लाख मोल पांचनउ, नटुइ हुई सबल निहाल रे। बीजे पणि लोके, मन मान्यउ दीधो माल रे । ७ । न. रीस करी राय ऊठियउ, परभाते तेड्या पंच रे। पहिलउ दान किम दियउ खरइ, कहई ते नहिं खल खंच रे। ८ ।न.। कुमर कहइ राजि सांभलउ, मुझनइ तुम्हे द्यउ नहीं राज रे। नाटक उठतां पछो, राजा मारी लेउं आज रे।। ।न.। एहवइ नाटकणी दियउ, मुझ नइ प्रतिबोध अपार रे । घणउ काल गयउ हिवथोड़इ, लियइ जनम म हारिरे।१०।न. मंत्रि कहइ राजि संभलउ, मुझ नइ न घउ वाडी ग्रास रे।
आज वयरी तेड़ि नइ, राज तणउ करूँ नास रे ।११न.। तुल्लक ऋषि बोल्यउ खरउ, दीक्षा मांहि दीठा दुक्ख रे। श्राज आधउ राज लेईनइ, संसार ना भोगवु सुक्ख रे।१२।न.। मीठ कहइ राजि मुझनइ, तु यह नहीं पूरउ ग्रास रे। हाथी नइ अपहरी, जाण्यु जासुबीजा पासि रे ।१३।न.। सार्थवाही साचूँ काउ, आज लोपसि कुलाचार रे। बार बरस पूरा थया, अजी नाव्यर मुझ भरतार रे ।१४।न.। राजा कहइ पांचां प्रति, हूँ पूर्स सगली आस रे। पणि ते पांचई कहइ अम्हे, न पडु पाप नइ पासि रे ।१शन.। अम्हे काम भोग थी ऊभगा, जाण्यउ संसार असार रे। जोवन धन कारिमु, अम्हे संजम लेस्यु सार रे।१६।न.।
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