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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
संवत निधि दरसण रस ससिहर,
सिधपुर नगर मझार जी । शांतिनाथ सुप्रसादे कीधी,
पुण्य छत्तीसी सार जी ॥ पु०॥३५॥ युगप्रधान जिनचंद सवाई,
सकलचंद तसु शिष्य जी । समयसुन्दर कहई पुण्य करो सहु, पुण्य तणा फल परतक्ष जी ॥ पु०॥३६॥
___-(:.:)संतोष छत्तीसी
साहमी सुसंतोष करीजइ, वयर विरोध निवार जी। सगपण ते जे साहमी केरउ, चतुर सुणो सुविचार जी। सा.। १। राय उदायन मोटउ राजा, कीधो सबल संग्राम जी। चंड प्रद्योतन मूकी खाम्यउ, सांभल्यौ साहमी नाम जी । सा.।२। कोणिक चेड़इ संग्राम कीधा, माणस मारचा कोड़ि जी।। असी लाख वलि ऊपरि कहियइ, वैर विरोध द्यउ छोड़ि जी। सा.। ३ । उदायन दीघउ केसी नइ, भाणेजो नइ राज भार जी। और वहंतर थयउ विराधक, अभीचि असुर कुमार जी । सा.।४। संखे कीधउ पोसौ सखरउ, पक्खुलि कीधी तात जी । मिच्छामि दुक्कडं श्री महावीरे, दिवरायो परभात जी । सा.।५। दाविड़ वारिखिल्ल बे भाई, पंच पंच कोड़ि परिवार जी।
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