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कर्म छत्तीसी
(५२६ )
दसरथ राय दियो देसवटउ,
राम रघउ वनवास जी। बलि वियोग पत्यउ सीतानउ,
आठे पहर उदास जी ।क.।१४। चिर प्रतिषाल्यउ चारित छोड़ी,
लीधो बांधव राज जी । कंडरीक नइ कर्म विटंब्यउ,
कोई न सरयउ काज जी । क..१५॥ कोणिक कठ पंजर मंइ दीघउ,
श्रेणिक आपणो बाप जी । नरग गयउ नाड़ी मारंतउ,
प्रगट्यउ हिंसा पाप जी । क.।१६। जसु अठार मुकुट बद्ध राजा,
सेव करइ कर जोड़ जी । कोणिक थी बीहतउ राय चेड़उ,
कूप पड़यउ बल छोड़ जी । क./१७ लुब्धो मुंज मृणालवती सुं,
उज्जैनी नउ राय जी । भीख मंगावी सली दीधर,
कर्णाट राय कहाय जी । क.।१८।
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