________________
(३८८)
समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
मानसरोवर मोटो हंसलउ, कोयल जिम सहकारो जी। मयगल मोहोरेजिम रेवा नदी,सतिय मोही भरतारोजी। मु.।२। गुरु चरणे रंग लागउ माहरउ, जेहवउ चोल मजीठो जी। दूर थकी पिण खिण नवि वीसरइ,वचन अमीरस मीठोजी। मु.३॥ सकल सोभागी सहगुरु राजियउ,श्रीजिनसिंघसरीसो जी। समयसुंदर कहइ गुरु गुण गावतां, पूजइ मनह जगीसोजी । मु.।४।
राग--मारुणी धन्याश्री
अमरसर अब कहउ केती दूर । पगि पगि पगि पंथियन । पूछत, आये आणंद पूर ।अ.१॥ पातसाह अकबर के माने, जिहां श्री जिनसिंहसूरि । मास कल्प राखे आग्रह करि, थानसिंह साहि सनूरि अ.२। गुरु के पद पंकज प्रणमत ही भाजि गये दुख भूरि । . समयसुन्दर कहइ आज हमारे, प्रगट्यइ पुण्य पडूरि ।अ.३।
सुंदर रूप सुहामणउ रे,
जोतां तृपति न थाय म्हारा पूज जी । मुंख पूनम कउ चांदलउ रे लाल,
कंचन बरणी काय म्हारा पूज जी ॥१॥
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org