SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 523
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ३५४ ) समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि इण रे जगत्र मई, नागोर नगीनइ दादो जागतउ । भाव भगति सु भेटतां, भव दुख भागतउ । इण रे०॥ को केहनइ को केहनड, दादा भगत आराधइ देव । मई इक तारी आदरी दादा, एक करूँ तोरी. सेव ॥ इण.॥२॥ सेवक दुखिया देखतां दादा, साहिब सोभ न होय । सेवक नइ सुखिया करइ दादा, साचो साहिब सोय ।। इण.॥३॥ श्री जिनकुशल सूरीसरु दादा, चिंता आरति चूरि । समयसुन्दर कहइ माहरा दादा, मन वंछित फल पूरि ॥ इण.॥४॥ श्री जिनकुशलसूरि गीतम् राग-भैरव पाणी पाणी नदी रे नदी, सानिध करो दादा सदी रे सदी। पा.११ ध्यान एक दादइ जी रो धरतां, कष्ट न आवइ कदीरे कदी। पा.।२। समयसुंदर कहइ कुशल कुशल गुरु,समस्यांसाद द्य सदीरेसदी।३। पाटण मंडन श्री जिनकुशल सरि गीतम राग-मल्दार उदउ करौ संघ उदउ करो, विनती करइ श्री संघ दादाजी । उ.। ऋद्धि समृद्धि सुख संपदा, द्रव्य भरो भंडार दादाजी। मणि माणक मोती बहु, पुत्र कलत्र परिवार दादाजी । उ.१॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003810
Book TitleSamaysundar Kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year1957
Total Pages802
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy