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( ३३२ )
समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जा
इम अबला नइ एकली,
___ कुण तजई वन वास नल राजा ॥शामु०॥ दवदंती पीहर गई,
पाल्यउ निरमल शील नल राजा । समयसँदर कहइ पियु मिल्यउ,
लाधा अविचल लील नल राजा ।।६।।मु०॥ इति नल देवदंती गीतम् ।। ३४ ॥
श्री चुलणी भास नयरी कंपिल्ला नउ धणी, पहुंतउ ब्रह्म पर लोकरे। दीरघ राजा सुं ते रमइ, चुलणी न कीधउ सोकरे ॥१॥ चुलणी पणि मुगतई गई, तप संजम फल सार रे। पाप कीयां घणो पाडयां, पड़ती नरक मझारो रे ॥राचु.।. ब्रह्मदत्त पुत्र परणावियउ, लाख नउ घर रच्यउ माइरे।
निज स्वारथ अण पहुंचतइ, दीधी अगनि लगाइ रे ॥३॥चु.॥ ... महतइ सुरंग मई काढियउ, बाहिर भम्यउ कुमारो रे।
..... ...........||४||चु. ।।
..........। चुलणी सिव सुख पामियु, समयसुदर करइ ध्यानो रे ॥५॥चु.।।
॥ इति चुलणी भास ॥ १२ ॥
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