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________________ ( २६८ ) लाघी वांस नी लाकड़ी हूं वारी, थयउ कंचणपुर राय रे हुं बारी लाल । बाप सु संग्राम मांडियउ हुंवारी, समय सुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि साधवी लियउ समझाय रे हुं बारी लाल || ० | ३ || वृषभ सरूप देखी करी हुं वारी, प्रतिबोध पाम्पउ नरेस रे हु' वारी लाल | उत्तम संजम आदरच हु वारी, देवता दीधर वेस रे ह वारी लाल || ४ || करम खपाषी मुगति गयउ हु वारी, करकंडू रिषि राय रे ही वारी लाल । समयसुंदर कहइ ए साधनइ हुंवारी, प्रणम्यां पाप पुलाय रे हुंवारी लाल |०|५|| इति श्री करकंडू प्रत्येक बुद्ध गीतम् ||४०|| श्री दुमुह प्रत्येक बुद्ध गीतम ढाल - फिट जीव्यु थारू रामला रे । नगरी कंपिला नउ धणी रे, जय राजा गुण जाण । न्याय नीति पालह प्रजा रे, गुणमाला पटराणि रे ॥ १ ॥ दुमुह राय बीजउ प्रत्येक बुद्ध । वयरागह मन वालियउ रे, संयम पलह सुद्ध रे ॥दु०आंकणी॥ धरती खणतां नीसरचड रे, मुगट एक अभिराम । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003810
Book TitleSamaysundar Kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year1957
Total Pages802
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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