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________________ ( २६६ ) समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि श्री गजसुकुमाल मुनि गीतम . ___ ढाल-गजरा नीनयरि द्वारामती जाणियइ जी, कृष्ण नरेसर राय । नेमीसर तिहां विहरता जी, आव्या त्रिभुवन ताय ॥१॥ फॅयर जी तुम्ह विन घड़िय न जाय । बोलइ माता देवकी जी, तुम्ह दीठां सुख थाय ॥॥आंकणी।। प्रतिबूधउ प्रभु देसणा जी, जाण्यउ अथिर संसार । गयसुकुमाल मुनिसरू जी, लीधउ संजम भोर कुँ०१२॥ राति देवकी चीतवइ जी, जउ किम ऊगइ रे सूर । तउ हूँ वांदू वालहउ जी, गयसुकुमाल सनूर ।।कुं०॥३॥ प्रभु वांदी नइ पूछियू जी, किहां म्हारउ गयसुकुमाल । आतमारथ निज साधियउ जी, तिण मुनिवर ततकाल ॥०॥४॥ समसाणइ उपसर्ग सही जी, पाम्यं केवल ज्ञान । मुगति पहुँता मुनिवरू जी, समयसुन्दर तसु ध्यान ।कु०॥५॥ इति श्री गजसुकुमाल गीतम् ।।३।। श्री थावच्चा ऋषि गौतम . ढाल-जननी मन आशा घणी, एड्नी. नगरी द्वारिकां निरखियइ, देवलोक समानो । थावच्चा सुत तिहां वसइ, पुण्यवंत प्रधानो ॥१॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003810
Book TitleSamaysundar Kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year1957
Total Pages802
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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