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श्री पार्श्वनाथ लघु स्तवनम्
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॥ कलश ॥ इम नगर श्री नागौर मण्डण, पास जिणवर शुभ मनइ । मंइ थुण्यउ संवत सोल इकसठ्ठ, चैत्र वदि पंचमि दिनइ ॥ जिन चन्द्र रवि नक्षत्र तारा, सकल चन्द्र सुरी सुरा । कर जोड़ि प्रभु नी करह सेवा, समयसुन्दर सादरा ॥८॥
श्री पार्श्वनाथ लघु स्तवनम् देव जुहारण देहरइ चाली,
सखिय सहेली' साथि री माई । केसर चन्दन भरिय कचोलडी,
___ कुसुम की माला हाथि री माई ॥१॥ पारसनाथ मेरउ मन लीणउ२,
वामा कउ नन्दन लाल री माई ॥ांकणी।। पग पूजी चढू पावड़ सालइ,
भगवंत धरम दुवार री माई। निस्सही तीन करू तिहुं ठउड़े,
पंचाभिगमण सार री माई ॥२॥ पा० ॥ तीन प्रदिक्षणा भमती देसु,
तीन करू परणाम री माई ॥ चैत्यवंदण करू देव जुहारू, १-सहिल समाणी। २-मान्यउ
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