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श्री गौड़ी पार्श्वनाथ स्तवनम्
(१६५ )
रतन शोभा धरू रे, इम बोलइ रे, समयसुन्दर सानिध करु रे ॥३॥ सं०॥
(४) राग-भयरव साचउ देव तउ संखेसरउ , ध्यान एक भगवंत नउ धरउ ।। कां तुम्हे भारत चिन्ता करउ, संखेसरउ मुखि उचरउ ।२। वादि विवाद न थायव उरउ, उपरि बोल आवइ आपरउ ।३।
आणंद लील करउ मत डरउ, दूनीए दीठउ पतउ खरउ ।४। पारसनाथ पाय अणुसरउ, समयसुन्दर कहइ जिम निस्तरउ।।
इति श्रीसंखेश्वर पार्श्वनाथ भास ॥ ३० ॥
श्री गोड़ी पार्श्वनाथ स्तवनम
गौड़ी गाजइ रे, गिरुयउ पारसनाथ । भव दुख भांजइ रे, मेल्हई मुगति नउ साथ ॥१॥ जागतउ तीरथ रे, लोक आवइ छइ जात्र । भावना भावइ रे, करइ पूजा नइ स्नात्र ॥२॥ परचा पूरइ रे, पारसनाथ प्रत्यक्ष । चिन्ता चूरइ रे, जेहनउ जागतउ यक्ष ॥३॥
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