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________________ ( १२८ ) समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि प्रांखि सोहइ नहीं अंजण पारवइ, कालउ मरिच कपूर नइ राखइ ।२। सा। काली कीकी करइ अजुवालउ, रक्षा करइ रूड़उ चंदलउ कालउ । सा०। कालउ कृष्ण वृन्दावनि सोहइ, सोल सहस गोपी मन मोहइ ।४। सान नर नारी सहुको घणु तरसइ, ___कालउ मेह घटा करि वरसइ ।। सा०। राजुल कहइ सखि स्यु करुं गोरइ, समयसुन्दर प्रभु मन मान्यउ मोरइ ।६। सा०। श्री नोमनाथ गूढा गीतम् राग--आसावरी सखि मोऊ मोहन लाल मिलावइ । स० । दधि सुत बन्धु सामि तसु सोदर, तासु नंदन संतावइ ।।स०॥ वृष पति सुत वाहन तसु वालिंभ, मण्डन मोहि डरावइ । अगनि सखारिपु तसु रिपु खिणु खिणु,रवि सुत शब्द सुणावइ ।स। हिमगिरितनया सुत तसु वाहन, तास भक्षण मोहि भावइ । समयसुदर प्रभु कुमिलि राजुल,नेमि जिणंद गुण गावइ ।।स। - श्री नोमिनाथ गीतम राग-श्राशावरी नेमि नेमि नेमि नेमि, जपत राजुल नारि हो।ने। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003810
Book TitleSamaysundar Kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year1957
Total Pages802
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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