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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
रिद्धि वृद्धि हुयइ रान वेलाउल२,
त इ-सारंग३ दिन राति रे।से। १ । भवसंतति४ ना भय दुख भंजण,
पंचम५ गति दातार रे। त्रिभुवननाथ ललित गुण तोरा,
गावइ देवगंधारण रेसे०।२। के सेवइ गउरीवर- शंकर,
के भजे कृष्ण भूपाल रे। के भयरव१० पणि हुँ भजु तुम्ह नइ,
करि कल्याण११ कृपाल रे।से०। ३ । नट१२ विकट बहु कूड़ कपट केलवी,
परजीउ१३ रंज्या कोड़ि रे। पर सिरि१४ राग धरयो मंइ पापी,
परदउ१५ राखि नइ छोड़ि रे।से०। ४। गउड़१६ बंगाल१७ तिलंग१८ नइ सोरठ१६,
__ मत भम्यउ देस प्रदेस रे । चंद्र प्रभ सामी घर बइठां,
अासा२० पूरसि एस रे।से०। ५। भव सिंधुडो२१ दूरि गमाड,
क्षमारू२२-प तुझ ध्यान रे। पुण्य दिसा-मेरी२३ अब प्रगटी,
तुझ गुण धार२४-णि गान रे । से०।६।
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