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( ७४ ) समयमुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
सामी ए संसार असार जी, .. . बहु दुख तणउ भंडार जी। तिण मइ नहीं सुख लगार जी,
भम्यउ अनंती वार जी ॥ सा ॥२॥ चिंतामणि जेम उदार जी,
मानव भव पाम्यउ सार जी। न धरयउ जिन धर्म विचारजी,
गयउ आलिं तेण प्रकार जी ॥ सा० ॥३॥ मुझ नइ हिव तूं आधार जी,
तुझ समउ नहिं कोय संसार जी। तोरी जाऊँ हुँ बलिहार जी,
करुणा करि पार उतारि जी ।। सा०॥४॥ आज सफल थयउ अवतार जी,
भेट्यउ प्रभु हरख अपार जी। मरुदेवी मात मल्हार जी,
समयसुन्दर नइ सुखकार जी ॥ सा०॥शा इति सेत्तु जमंडन श्री आदिनाथ भास ॥४॥
गया
श्री शत्रुजय तीर्थ भास म्हारी बहिनी है, बहिनी म्हारी सुणि एक मोरी बात हे,
__ के सेतु ञ्ज तीरथ चडी।
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