SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २१ ) , ६१७ 'नानाविधकाव्यजातिमयं नेमिनाथ स्तवनम्' ६ वें श्लोक की प्रथम पंक्ति में त्रुटित अंश । , ६१८ 'यमकबद्ध पार्श्वनाथ स्तवन' में गाथा प्रथम की पंक्ति दूसरी त्रुटित । ,, ६१६ 'समस्यामयं पार्श्वनाथ स्तवन' पहले और दूसरे श्लोक त्रु०. , ६२० , , , श्लोक ६ से १३ त्रुटित । ,, ६२२ 'यमकमय पार्श्व लघुस्तवन' श्लोक ७ की प्रथम पाक्ति त्रुटित ,,, 'यमकमय महावीर बृहद्स्तवन' श्लोक १ और ४ में दो दो अक्षर त्रुटित। ,, , 'यमकमय महावीर बृहद् स्तवन' श्लोक ११ और १३ में दो दो अक्षर त्र टित। , ६२५ 'मणिधारी जिनचन्द्रसरि गीत' तीनों ही गाथा त्रुटित । , ,, 'जिनकुशलसूरि गीत' , " , , ६२६ जिनदत्तसूरि और जिनकुशलसूरि गीत' दोनों की पांचों गाथा त्रुटित । ,, ६२७ 'अजयमेरुमंडन जिनदत्तसूरि गीत' चारों गाथाएँ त्रुटित. , ६२८ 'प्रबोध गीत' गाथाएँ २ से ५ त्रुटित । कविवर की रचनाएँ आज भी जहां तहां नित्य मिलती रहती हैं । पृ० ६१४ छप जाने पर इस संग्रह को पूरा कर दिया गया था। पर उसी समय विक्रयार्थ एक त्रुटित प्रति प्राप्त हुई, जिसमें आपकी बहुत सी रचनाएँ थीं। अतः उसमें जो रचनाएँ पहले नहीं मिली थी उन्हें भी इसमें सम्मिलित करना आवश्यक हो गया। हस्त लिखित फुटकर पत्र आदि के लिये हमारा संग्रह भी, एक बहुत बड़ा भण्डार है। समयसुन्दरजी के गीतों के फुटकर पत्रों की संख्या सैंकड़ों पर है। उनमें की अभी कुछ रचनायें ऐसी ठीक मालूम होती हैं, जो बहुत ध्यानपूर्वक संग्रह करने पर भी इस संग्रह में नहीं आ सकीं। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003810
Book TitleSamaysundar Kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year1957
Total Pages802
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy