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________________ सं० १६६५ में हरिराम का लिखा हुआ गीत भी इसमें है। प्रारम्भिक गीत स्वयं लिखित है और पीछे के गीत हरिराम के लिखित हैं। एक गीत में | गाथा तो स्वयं की लिखित और पीछे का अश हरिराम का लिखा मिला है। लींबड़ी भण्डार में 'साधुगीतानि' की जो दूसरी प्रति मिली है उसमें ४६ गीत हैं। इनमें स० १६६२ मिग सुदि १ अहमदाबाद के ईदलपुर में चातुर्मास करते हुये ४५ गीत लिखे और ४ गीत फिर पीछे से लिखे गये । ६ पत्रों की अपूर्ण अन्य प्रति में २३ गीत मिले हैं। वैराग्यगीत-साधुगीतानि-की एक दूसरी प्रति के अंत के पत्रों में वैराग्य गीतों का संकलन किया है। पर वह प्रति अधूरी मिली है। नाना प्रकार गीतानि-इसकी स्वयं लिखित एक प्रति २७ पत्रों की हमारे संग्रह में है, जिसमें १३५ गीत संगृहीत हैं। पर इसके प्रारम्भ और मध्य के कुछ पत्र नहीं मिले हैं। पार्श्वनाथ लघुस्तवन-इसकी ८ पत्रों की स्वयं लिखित प्रति हमारे संग्रह में है। इसमें पार्श्वनाथ के १४ गीतों का संकलन है, सं० १७०० मार्ग० ० ५ अहमदाबाद के हाजा पटेल पोल के बड़े उपाश्रय में शिष्यार्थ यह प्रति लिखी गई। अन्त समये जीव प्रतिबोध गीतम-इसमें इस भाव वाले १२ गीत संकलित हैं। प्रथम पत्र प्राप्त नहीं होने से प्रथम के दो गीत प्राप्त नहीं हो सके। प्रति स्वयं लिखित है। दादागुरु गीतम्-इसमें जिनदत्तसूरि और जिनकुशलसूरि जी के १० गीत हैं । इसका स्वयं लिखित सं० १६८८ के एक पत्र का आधा अंश ही मिला है । जिससे पांच गीत त्रुटित प्राप्त हुए हैं, जो इस ग्रन्थ के अन्त में दिये गये हैं। इनमें से अजमेर दादा जी स्तवनादि का एक पत्र स्वयं लिखित और हमारे संग्रह में था पर अभी नहीं मिला अन्यथा पूर्ति हो जाती। जिनसिंहसरि गीत-हमारे संग्रह की वृहद् संग्रह प्रति के बीच के पत्रांक ४३ से ५६ में जिनसिंहसूरि के २२ गीत लिखे हैं। पीछे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003810
Book TitleSamaysundar Kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year1957
Total Pages802
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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