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________________ अनुक्रमणिका २३८. छन्द जातिमय बीतराग श्री सर्वज्ञं जिन स्तोष्ये २१५ स्तव गा. २२ सं० २३६. शास्वत तीर्थकर स्त० गा.५ शास्वता तीर्थकर च्यार २१८ २४०. सामान्य जिन स्तवनम् गा.३ प्रभु तेरो रूप बण्यो अति नीको २१६ २४१. , , , ३ शरण ग्रही प्रभु तारी २१९ २४२. अरिहन्त पद स्तवनम् ,, ३ हां हो एक तिल दिल में . आवि तु २१६ २४३. गिन प्रतिमा पूजा गी. , ६ प्र० पूजा भगति भाखि रे २२० २४४. पञ्च परमेष्ठि गीतम् , ६जपउ पञ्चपरमेट्ठि परभाति जापं २२१ २४५. सामान्य जिन गतिम् ,, २ हरखिला सुरनर किन्नर सुन्दर २२१ २४६. सामान्य जिन गीतम् ,, ३ जगगुरु तारि परम दयाल २२२ २४७. सा० जिन प्रांगी गी० ,, ४ नीकी प्रभु आंगी वणी जो २२२ २४८. तीर्था समवशरण गी.,,१० विहरन्ता जिनराय २४६. चत्तारि अट्ठ दस दोय जिनवर भत्ति समुल्लसिय २२४ गर्भित स्त० गा. १७ २५०. अल्पाबहुत्व गर्भित स्त.गा.२२ अरिहन्त केवल ज्ञान अनंत २२६ २५१. चौवीस दण्डक स्त. गा. १३ श्री महावीर न कर जोदि २३० २५२. श्री घंघाणी तीर्थ स्तवन पाय प्रणमूरे पद पंकज गा. २४ (सं० १६६२) प्रभु पासना २३२ २५३. ज्ञान पञ्चमी वृहत्स्तवन प्रणमूं श्री गुरु पाय २३६ गा. २० (सं० १६६६) २५४. ज्ञानपञ्चमी लघु स्त० गा.५ पञ्चमी तप तुम करोरे प्राणी २३६ २५५. मौनेकादशी स्तवन गा. १३ समवसरण बैठा भगवन्त २४० (सं०१६८१ जेसल.) २५६. पर्युषण पर्व गीतम् गा.३ पजूसण पर्वरी भलइ आये २४१ २५७.रोहिणी तप स्तवन गा.५ रोहि. तप भविश्रादरोरेलाल २४२ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003810
Book TitleSamaysundar Kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year1957
Total Pages802
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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