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धन्यवाद - अभिनंदन वि. सं. २०६५ के चातुर्मासार्थ बिराजमान पू.आचार्य जयसुंदर सू. के बहुमानार्थ
श्री उमरा जैन संघ - सूरत ने अपनी ज्ञानविधि में से विशाल धनराशि का सद्व्यय किया जहै - एतदर्थ उस संघ को सहस्त्रशः
धन्यवाद ।
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