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________________ विइत्तु जाईमरणं महब्भयं, तवे रए सामाणिए जे स भिक्खू ।। [४९९] हत्थसंजए पायसंजए, वायसंजए संजइंदिए । अज्झप्परए सुसमाहियप्पा, सुत्तत्थं च वियाणइ जे स भिक्खू ।। [५००] उवहिम्मि अमुच्छिए अगिद्धे, अन्नायउंछं पुलनिप्पुलाए | कयविक्कयसन्निहिओ विरए, सव्वसंगावगए य जे स भिक्ख ।। [५०१] अलोल भिक्खू न रसेसु गिज्झे, उंछं चरे जीविय नाभिकंखे । इटिं च सक्कारण पूयणं च, चए ठियप्पा अणिहे जे स भिक्खू ।। [५०२] न परं वएज्जासि अयं कुसीले, जेणं च कुप्पेज्ज न तं वएज्जा | जाणिय पत्तेयं पुन्नपावं, अत्ताणं न समुक्कसे जे स भिक्खू ।। अज्झयणं-१०, उद्देसो [५०३] न जाइमत्ते न य रूवमत्ते, न लाभमत्ते न सुएण मत्ते । मयाणि सव्वाणि विवज्जइता, धम्मज्झाणरए जे स भिक्खू ।। [५०४] पवेयए अज्झपयं महामुनी, धम्मे ठिओ ठावयई परंपि । निक्खम्म वज्जेज्ज कुसीललिंग, न यावि हासं कुहए जे स भिक्खू ।। [५०५] तं देहवासं आसुइं असासयं, सया चए निच्चहियट्ठियप्पा | छिंदित्तु जाईमरणस्स बंधनं, उवेइ भिक्खू अपणागमं गइं- || त्तिबेमि ० दसमं अज्झयणं समत्तं . • पढमा चूलिया रइवक्का . [५०६] इह खलु भो ! पव्वइएणं उप्पन्नदुक्खेणं संजमे अरइसमावण्णिचित्तेणं ओहाणुप्पेहिणा अनोहाइएणं चेव हयरस्सिगयंकुसपोयपडागाभूयाइं इमाइं अट्ठारस ठाणाइं सम्म संपडिलेहियव्वाइं भवंति तं जहा- हं भो ! दुस्समाए दुप्पजीवी, लहस्सगा इत्तरिआ गिहीणं कामभोगा, भुज्जो य साइबहुला मणुस्सा, इमे य मे दुक्खे न चिरकालोवट्ठाई भविस्सई, ओमजणपुरक्कारे वंतस्स य पडियाइयणं, अहरगइवासोवसंपया, दुल्लहे खलु भो ! गिहीणं धम्मे गिहिवासमझे वसंताण, आयंके से वहाय होइ, संकप्पे से वहाय होइ, सोवक्केसे गिहवासे निरुवक्केसे परिआए, बंधे गिहवासे मुक्खे परियाए, सावज्जे गिहवासे अणवज्जे परियाए, बहुसाहारणा गिहीणं कामभोगा, पत्तेयं पुन्नपावं, अनिच्चे खलु भो ! मणुयाण जीविए कुसग जलबिंदु चंचले, बहुं च खलु पावं कम्मं पगडं, पावाणं च खलु भो ! कडाणं कामाणं पुट्विं दुचिन्नाणं दुप्पडिकंताणं वेइत्ता मुक्खो नत्थि अवेयइत्ता तवसा वा झोसइत्ता, अट्ठारसमं पयं भवइ । [भवइ य इत्थ सिलोगो] [५०७] जया य चयई धम्म, अणज्जो भोगकारणा । से तत्थ मच्छिए बाले, आयइं नावबज्झई ।। [५०८] जया ओहाविओ होइ, इंदो वा पडिओ छमं । सव्वधम्मपरिब्भट्ठो, स पच्छा परितप्पइ ।। [५०९] जया अ वंदिमो होइ, पच्छा होइ अवंदिमो । दीपरत्नसागर संशोधितः] [35] [४२-दसवेआलियं
SR No.003783
Book TitleAgam 42 Dasaveyaliyam Taiyam Mulsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages39
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 42, & agam_dashvaikalik
File Size1 MB
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