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उद्देसो-२
पट्टवियव्वे सिया ।
[४४] खित्तचित्तं भिक्खु गिलायमाणं नो कप्पड़ तस्स गणावच्छेइयस्स निज्जूहित्तए अगिलाए तस्स करणिज्जं वेयावडियं जाव तओ रोगायंकाओ विप्पमुक्को तओ पच्छा तस्स अहालहुसए नामं ववहारे पट्टवियव्वे सिया ।
[४५] दित्तचित्तं भिक्खु गिलायमाणं नो कप्पइ तस्स गणावच्छेइयस्स निज्जूहित्तए अगिलाए तस्स करणिज्जं वेयावडियं जाव तओ रोगायंकाओ विप्पमुक्को तओ पच्छा तस्स अहालहसए नामं ववहारे पट्टवियव्वे सिया ।
___ [४६] जक्खाइडं भिक्खु गिलायमाणं नो कप्पड़ तस्स गणावच्छेइयस्स निज्जूहित्तए अगिलाए तस्स करणिज्जं वेयावडियं जाव तओ रोगायंकाओ विप्पमुक्को तओ पच्छा तस्स अहालहुसए नामं ववहारे पट्टवियव्वे सिया ।
[४७] उम्मायपत्तं भिक्खु गिलायमाणं नो कप्पड़ तस्स गणावच्छेइयस्स निज्जूहित्तए अगिलाए तस्स करणिज्जं वेयावडियं जाव तओ रोगायंकाओ विप्पमुक्को तओ पच्छा तस्स अहालहुसए नामं ववहारे पट्टवियव्वे सिया ।
[४८] उवसग्गपत्तं भिक्खु गिलायमाणं नो कप्पड़ तस्स गणावच्छेइयस्स निज्जूहित्तए अगिलाए तस्स करणिज्जं वेयावडियं जाव तओ रोगायंकाओ विप्पमुक्को तओ पच्छा तस्स अहालहुसए नामं ववहारे पट्टवियव्वे सिया ।
[४९] साहिगरणं भिक्खु गिलायमाणं नो कप्पइ तस्स गणावच्छे यस्स निज्जूहित्तए अगिलाए तस्स करणिज्जं वेयावडियं जाव तओ रोगायंकाओ विप्पमुक्को तओ पच्छा तस्स अहालहसए नामं ववहारे पट्टवियव्वे सिया ।
__ [१०] सपायच्छित्तं भिक्खु गिलायमाणं नो कप्पड़ तस्स गणावच्छेइयस्स निज्जूहित्तए अगिलाए तस्स करणिज्जं वेयावडियं जाव तओ रोगायंकाओ विप्पमुक्को तओ पच्छा तस्स अहालहसए नामं ववहारे पट्टवियव्वे सिया ।
[५१] भत्तपाणपडियाइक्खितं भिक्खु गिलायमाणं नो कप्पड़ तस्स गणावच्छेइयस्स निज्जूहित्तए अगिलाए तस्स करणिज्जं वेयावडियं जाव तओ रोगायंकाओ विप्पमुक्को तओ पच्छा तस्स अहालहुसए नामं ववहारे पट्टवियव्वे सिया ।
[१२] अट्ठजायं भिक्खु गिलायमाणं नो कप्पइ तस्स गणावच्छेइयस्स निज्जूहित्तए अगिलाए तस्स करणिज्जं वेयावडियं जाव तओ रोगायंकाओ विप्पमुक्को तओ पच्छा तस्स अहालहसए नामं ववहारे पट्टवियव्वे सिया ।
[१३] अणवठ्ठप्पं भिक्खुं अगिहिभूयं नो कप्पड़ तस्स गणावच्छेइयस्स उवट्ठावेत्तए | [१४] अणवठ्ठप्पं भिक्खं गिहिभूयं कप्पड़ तस्स गणावच्छेइयस्स उवट्ठावेत्तए | [१५] पारंचियं भिक्खं अगिहिभूयं नो कप्पड़ तस्स गणावच्छे यस्स उवट्ठावेत्तए | [१६] पारंचियं भिक्खं गिहिभूयं कप्पइ तस्स गणावच्छेइयस्स उवट्ठावेत्तए |
[१७] अणवठ्ठप्पं भिक्खं अगिहिभूयं वा गिहिभूयं वा कप्पड़ तस्स गणावच्छेइयस्स उवट्ठावेत्तए जहा तस्स गणस्स पत्तियं सिया ।
दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[३६-ववहारो
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