________________ [21] [22] [23] [24] [25] [26] [27] उज्जुय अपरितंता न हु सुलहा सिक्खगा सीसा | विनयस्स गुणविसेसा एए मए वण्णिया समासेणं न / आयरियाणं च गुणे एगमणा मे निसामेह / / वोच्छं आयरियगुणे अनेगगुणसयसहस्सधारीणं / ववहारदेसगाणं सुयरयणसुसत्थवाहाणं / / पुढवी विव सव्वसहं मेरु व्व अकंपिरं ठियं धम्मे / चंदं व सोमलेसं तं आयरियं पसंसंति / / अपरिस्साविं आलोयणारिहं हेउ-कारणविहन्नुं / गंभीरं दुद्धरिसं तं आयरियं पसंसति / / कालन्नू देसन्नू समयन्नू अतुरियं असंभंतं / अनुवत्तयं अमायं तं आयरियं पसंसंति / / लोइय-वेइय-सामाइएसु सत्थेसु जस्स वक्खेवो / ससमय-परसमयविऊ तं आयारियं पसंसति / / बारसहि वि अंगेहिं सामाइयमाइपुव्वनिब्बद्ध / लद्धढं गहियद्रं तं आयरियं पसंसति / / आयरियसहस्साइं लहइ य जीवो भवेहिं बहुएहिं / कम्मेसु य सिप्पेसु य अन्नेसु य धम्मचरणेसु / / जे पुण जिनोवइठे निणंथे पवयणम्मि आयरिया / संसार-मोक्खमग्गस्स देसगा तेऽत्थ आयरिया / / जह दीवा दीवसयं पइप्पए सो य दिप्पए दीवो / दीवसमा आयरिया दिप्पंति परं च दीवेति / / धन्ना आयरियाणं निच्चं आइच्च-चंदभूयाणं / संसारमहण्णवतरयाण पाए पणिवयंति / / इहलोइयं च कित्तिं लभंति आयरियभत्तिराएणं / देवगई सुविसुद्धं धम्मे य अनुत्तरं बोहिं / / देवा वि देवलोए निच्चं दिव्वोहिणा वियाणित्ता / आयारियाण सरंता आसण-सयणाणि मुच्चंति / / [28] [29] [30] [31] [32] [33] [दीपरत्नसागर-संशोधितः ..... 'आगम सूत्र 302 चंदावेज्झयं' Page 5