SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 21
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ से त्तं कम्मारिया, से किं तं-सिप्पारिया अणेगविहा पन्नत्ता तं जहा- तुण्णागा तंतुवाया पट्टगारा देयडा वरुट्टा छव्विया कट्ठपाउयारा मुंजपाउयारा छत्तारा वज्झारा पोत्थारा लेप्पारा चित्तारा संखारा दंतारा भंडारा जिब्भगारा सेल्लरा कोडिगारा जे यावण्णे तहप्पगारा से त्तं सिप्पारिया, से किं तं भासारिया-जे णं अद्धमागहाए भासाए भासिंति जत्थ वि य णं बंभी लिवी पवत्तइ बंभीए णं लिवीए अट्ठारसविहे लेक्खविहाणे पन्नत्ते तं जहा- बंभी जवणाणिया दोसापुरिया खरोट्ठी पुक्खरसारिया भोगवईया पहराईयाओ य अंतक्खरिया अक्खरपट्ठिया वेणइया निण्हइया अंकलिवी गणितलिवी गंधवव्वलिवी आयंसलिवी माहेसरी दामिली पोलिंदी से त्तं भासारिया, से किं तं नाणारिया-पंचविहा पन्नत्ता तं जहाआभिणिबोहियनाणारिया सुयनाणारिया ओहिनाणारिया मणपज्जवनाणारिया केवलनाणारिया से त्तं नाणारिया, से किं तं दंसणारिया-दुविहा पन्नत्ता-सरागदंसणारिया य वीयरागदंसणारिया य, से किं तं सरागदसणारिया-दसविहा पन्नत्ता । [१७६] निस्सग्गुवएसरुई आणारुइ सुत्त-बीयरुइ मेव । अहिगम-वित्थाररुई किरिया-संखेव-धम्मरुई । [१७७] भूयत्थेणाधिगया जीवाजीवा य पुन्नपावं च । पद-१ सहसम्मुइयासवसंवरो य रोएइ उ निसग्गो । [१७८] जो जिणदिढे भाव चउव्विहे सद्दहाइ सयमेव । एमेव नन्नह त्ति य निस्सग्गरुड़ त्ति नायव्वो । [१७९] एते चेव उ भावे उवदिद्वेजोपरेण सद्दहइ । छउमत्थेणं जिणेण व उवएसरुइ त्ति नायव्वो । [१८०] जो हेउमयाणंतो आणाए रोयए पवयणं तु । एमेव नन्नह ति य एसो आणारुई नाम । [१८१] जो सुत्तमहिज्जतो सुएण ओगाहई उ सम्मत्तं । अंगेण बाहिरेण व सो सत्तरुइ त्ति नायव्वो । [१८२] एगपएणेगाइं पदाइं जो पसरई उ सम्मत्तं । उदए व्व तेल्लबिंदू सो बीयरुइ त्ति नायव्वो । [१८३] सो होइ अहिगमरुई सुयनाणं जस्स अत्थओ दिलु । एक्कारस अंगाइं पइण्णगं दिद्विवाओ य । [१८४] दव्वाण सव्वभावा सव्वपमाणेहिं जस्स उवलद्धा । सव्वाहिं नयविहीहिं वित्थाररुइ ति नायव्वो । [१८५] दंसण-नाण-चरित्ते तवविणए स्चसमिइ-गुत्तीसु । जो किरियाभावरुई सो खलु किरियारुई नाम । [१८६] अणभिग्गहियकदिट्ठी संखेवरुइ त्ति होइ नायव्वो । अविसारओ पवयणे अणभिग्गहिओ य सेसेस् । [१८७] जो अत्थिकायधम्मं सुयधम्म खलु चरित्तधम्मं च । सद्दहइ जिणाभिहियं सो धम्मरुइ त्ति नायव्वो । दीपरत्नसागर संशोधितः] [20] [१५-पन्नवणा]
SR No.003729
Book TitleAgam 15 Pannavana Chauttham Uvvangsuttam Mulam PDF File Without Correction
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2013
Total Pages202
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 15, & agam_pragyapana
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy