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________________ बालब्रह्मचारी श्री नेमिनाथाय नमः नमो नमो निम्मलदसणस्स ॐ ह्रीं नमो पवयणस्स १२ उववाइयं-पढम [१] तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नामं नयरी-होत्था-रिद्ध-त्थिमिय-समिद्धा पमुइय-जणजाणवया आइण्ण-जण-मणूसा हल-सयसहस्स-संकि-विकिट्ठ-लट्ठ-पन्नत्त-सेउसीमा कुक्कुडुसंडेय-गाम-पउरा उच्छु-जव-सालिकलिया गो-महिस-गवेलगप्पभूया आयारवंत-चेइय-जुवइ-विविसण्णिविट्ठबहुला उक्कोडियगायगंढिभेय-भड-तक्कर-खंडरक्खरहिया खेमा निरुवद्दवा सुभिक्खा वीसत्थसुहावासा अणेगकोडि कोडंबियाइण्ण-निव्वयसहा नड-नट्टग-जल्ल-मल्ल-मुट्ठिय-वेलंबग-कहग-कवग-लासगआइक्खग-लंख-मखतूणइल्ल-तुंबवीणियअणेगतालायराणुचरिया आरामुज्जाण-अगड-तलाग-दीहिय-वप्पिणि गुणोववेया नंदनवन सन्निभपगासा..... __उव्विद्ध-विउल-गंभीर-खायफलिहा चक्क-गय-मुसुंढि-ओरोहे-सयग्धि-जमलकवाड-धणदुप्पवेसा धणुकुडिलवंकपागार-परिक्खित्ता कविसीसगवट्टरइय-संठियविरायमाणा अट्टालय-चरिय-दार-गोपुर-तोरणउण्णय-सुविभत्तराय-मग्गा छेयायरिय-रइय-दढफलिह-इंदकीला।...... विवणि-वणियछित्त-सिप्पियाइण्ण-निव्वुयसुहा सिंघा-डग-तिग-चउक्क-चच्चर-पणियावणविविहवत्थुपरिमंडिया सुरम्मा नरवइ-पविइण्ण-महिव-इपहा अनेगरवरतुरग-मत्तंकंजर-रहपहकर-सीयसंदमाणियाइण्ण-जाण-जुग्गा विमलउ-नवण-लिणि-सोभियजला पंडुरवर-भवण-सण्णिमहिया उत्ताणगनयणपेच्छणिज्जा पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा । [२] तीसे णं चंपाए नयरीए बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसीभाए पुन्नभद्दे नामं चेहए होत्था; चिराईए पुव्वपुरिस-पन्नत्ते पोराणे सद्दिए कित्तिए नाए सच्छत्ते सज्झए सघंटे सपडागाइपडागमंडिए सलोमहत्थे कयवेयदिए लाउल्लोइय-महिए गोसीससरसरत्तचंदण-दद्दर-दिण्णपंचंगुलितले उवचि-यवंदणकलसे वंदणघड-सुकय-तोरण-पडिदुवारदेसभाए आसत्तोसत्त-विउल-वट्ट-वग्धारिय-मल्ल-दामकलावे | पंचवण्ण-सरससुरभि-मुक्क-पुप्फपुंजोवयारकलिए कालागुरु-पवरकुंदुरुक्क-तुरक्कधूव-मघमघेत-गंधुघुयाभिरामे सुगंधवरगंधगंधिए गंधवट्टिभूए नड-नट्टग-जल्ल-मलल-मुट्ठिय-वेलंबग-पवग-कहगलासग-आइक्खग-लंख-मंख-तूणइल्ल-तुंबवीणिय-फुयग-मागह-परिगए | बहजण-जाणवयस्स विस्सयकित्तिए बहजणस्स आहस्स आहणिज्जे पाहणिज्जे अच्चणिज्जे वंदणिज्जे नमंसणिज्जे पयणिज्जे सक्कारणिज्जे सम्माणणिज्जे कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं विणएणं पज्जुवासणिज्जे दिव्वे सच्चे सच्चोवाए सण्णिहियपाडिहरे जाग-सहस्सभाग-पडिच्छए बहुजणो अच्चेइ आगम्म पुन्नभदं चेइयं पुन्नभई चेइयं । [३] से णं पुन्नभद्दे चेइय एक्केणं महया वससंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, से णं वणसंडे किण्हे किण्होभासे नीले नीलोभासे हरिय हरिओभासे सीए सीओभासे निद्धे निरोभासे तिव्वे तिव्वोभासे किण्हे किण्हच्छाए नीले नीलच्छाए हरिए हरियच्छाए सीए सीयच्छाए निद्धे निद्धच्चाए तिव्वे तिव्वच्छाए, घणकडियकडच्छाए रम्मे महामेह ते णं पायवे मूलमंते कंदमते खंधमते तयामंते सालमंते पवालमंते पत्तमंते पप्फमंते फल [दीपरत्नसागर संशोधितः] [2] [१२-उववाइयं]
SR No.003723
Book TitleAgam 12 Uvvaeam Padhamam Uvvangsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages38
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 12, & agam_aupapatik
File Size1 MB
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