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________________ कंपिल्लपुरे नयरे घरसए जाव वसहिं उवेइ, से तेणटेणं गोयमा! एवं वुच्चइ-अम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे नयरे घरसए जाव वसहिं उवेइ । पहू णं भंते! अम्मडे परिव्वायए देवाणुप्पियाणं अंतियं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए? नो इणढे समढे, गोयमा! अम्मडे णं परिव्वायए समणोवासए अभिगयजीवाजीवे जाव अप्पाणं भावेमाणे विहरइ नवरं ऊसियफलिहे अवंगुदुवारे चियत्तंतेउर-घरदार-पवेसी न वुच्चइ । ____ अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स थूलए पाणाइवाए पच्चक्खाए जावज्जीवाए जाव थूलए परिग्गहे पच्चक्खाए नवरं सव्वं मेहणे पच्चक्खाए जावज्जीवाए | म्मडस्स णं परिव्वायगस्स नो कप्पड अक्खसोयप्पमाणमेत्तंपि जलं सयराहं उत्तरित्तए नन्नत्थ अद्धाणगमणेणं अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स नो कप्पड़ सगडं वा एवं चेव भाणियव्वं जाव नन्नत्थ एगाए गंगा मट्टियाए । अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स नो कप्पड़ आहाकम्मिए वा उद्देसिए वा मीसजाएइ वा अज्झोयरएइ वा पूइकम्मेइ वा कीयगडेइ वा पामिच्चेइ वा अणिसिढेइ वा अभिहडेइ वा ठवियएइ वा रयइएइ वा कंतारभत्तेइ वा दुब्भिक्खभत्तेइ वा पाहुणगभत्ते इ वा गिलाणभत्तेइ वा वद्दलियाभत्तेइ वा भोत्तए वा पायए वा, अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स नो कप्पड़ मूलभोयणेइ वा कंदभोयणेइ वा फलभोयणेइ वा हरियभोयणेइ वा बीयभोयणेइ वा भोत्तए वा पायए वा । ___ अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स चउव्विहे अणट्ठादंडे पच्चक्खाए जावज्जीवाए तं जहाअवज्झाणायरिए पमायायरिए हिंसप्पयाणे पावकम्मोवएसे । अम्मडस्स कप्पड़ मागहए अद्धाढए जलस्स पडिग्गाहित्तए, से वि य वहमाणे नो चेव णं अवहमाणए, जाव से वि य परिपूए नो चेव णं अपरिपूए, से वि य सावज्जे त्ति काउं नो चेव णं अणवज्जे, से वि य जीवा ति काउं नो चेव णं अजीवा, से वि य दिन्ने नो चेव णं अदिन्ने, से विय दंत हत्थ-पाय-चरु-चमस-पक्खालाणट्ठयाए पिबित्तए वा नो चेव णं सिणाइत्तए, अम्मडस्स कप्पइ मागहए आढए जलस्स पडिग्गाहित्तए, से वि य वहमाणए जाव नो चेव णं अदिन्ने, से वि य सिणाइत्तए नो चेव णं हत्थ-पाय-चरु-चमस-पक्खालणद्वयाए पिबित्तए वा । अम्मडस्स नो कप्पइ अण्णउत्थिए वा अण्णउत्थियदेवयाणि वा अण्णउत्थियपरिग्गहियाणि वा चेइयाइं वंदित्तए वा नमंसित्तए वा जाव पज्जुवासित्तए वा नन्नत्थ अरहंतेहिं वा अरहंत चेइयाइं वा । अम्मडे णं भंते! परिव्वायए कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिति? कहिं उववज्जिहिति? गोयमा! अम्मडे णं परिव्वायए उच्चावएहिं सीलव्वय-गुण-वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं अप्पाणं भावेसूत्तं-५० माणे बहूई वासाइं समणोवासय-परियाय पाउणिहिति पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता सद्धिं भत्ताइं अणसणाए छेदित्ता आलोइय-पडिक्कंते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा बंभलोए कप्पे देवत्ताए उववज्जिहिति, तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं दससागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता तत्थ णं अम्मडस्स वि देवस्स दससारोवमाइं ठिई । से णं भंते! अम्मडे देवे ततो देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अनंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति? कहिं उववज्जिहिति? गोयमा! महाविदेहे वासे जाइं कुलाइं भवंति अड्ढाइं [दीपरत्नसागर संशोधितः] [28] [१२-उववाइय
SR No.003723
Book TitleAgam 12 Uvvaeam Padhamam Uvvangsuttam Mulam PDF File
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages38
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 12, & agam_aupapatik
File Size1 MB
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