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जवराया वा ईसरे वा तलवरे वा माडंबिय-कोडुबिय-इब्भ-सेट्ठी वा देवी वा कुमारो वा कुमारी वा अरहओ अरिहनेमिस्स अंतिए मुंडे जाव पव्वइत्तए तं णं कण्हे वासुदेवे विसज्जेइ, पच्छातुरस्स वि य से अहापवित्तं वित्तिं अनजाणइ महया इढिसक्कारसमदएणं य से निक्खमणं करेइ, दोच्चं पि तच्चं पि घोसणयं घोसेह घोसेत्ता ममं एयं पच्चप्पिणह, तए णं ते कोडुबिया जाव पच्चप्पिणंति ।
ते णं सा पउमावई देवी अरहओ अरिहनेमिस्स अंतिए धम्म सोच्चा निसम्म हद्वतुट्ठचित्तमाणंदिय जाव हियया अरहं अरिट्ठनेमि वंदइ-नमंसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी- सद्दहामि णं भंते! निग्गंथं पावयणं० से जहेयं तुझं वयह जं नवरं-देवाणुप्पिया! कण्हं वासुदेवं आपुच्छामि, तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडा जाव पव्वयामि, अहासुहं० वग्गो-५, अज्झयणं-१
तए णं सा पठमावई देवी धम्मियं जाणप्पवरं दुरुहइ दुहित्ता जेणेव बारवई नयरी जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता धम्मियाओ जाणप्पवराओ पच्चोरुहइ पच्चोरुहित्ता जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छद उवागच्छित्ता करयल जाव कट्ट कण्हं वासुदेवं एवं वयासी-इच्छामि णं देवाणुप्पिया! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाया समाणी अरहओ अरिहनेमिस्स अंतिए मुंडा जाव पव्वइत्तए |
__अहासुहं०, तए णं से कण्हे वासुदेवे कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! पउमावईए देवीए महत्थं० निक्खमणाभिसेयं उवट्ठवेह उवद्ववेत्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह, तए णं ते कोडुंबियपुरिसा जाव पच्चप्पणंति, तए णं से कण्हे वासुदेवे पउमावइं देविं पट्टयं दुरुहेइ अट्ठसएणं सोवण्णकलसाणं जाव महाणिक्खमणाभिसेएणं अभिसिंचइ अभिसिंचित्ता सव्वालंकार-विभूसियं करेइ करेत्ता पुरिससहस्सवाहिणिं सिबियं दुरुहावेइ दुरुहावेत्ता बारवईए नयरीए मज्झंमज्झेणं निग्गच्छड़ निग्गच्छित्ता जेणेव रेवयए पव्वए जेणेव सहसंबवणे उज्जाणे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सीयं ठवेइ
पउमावई देविं सीयाओ पच्चोरूहइ पच्चोरूहित्ता जेणेव अरहा अरिट्ठनेमी तेणेव उवागच्छड़ उवागच्छित्ता अरहं अरिहनेमिं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ करेत्ता वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-एस णं भंते! मम अग्गमहिसी पउमावई नामं देवी इट्ठा कंता पिया मणण्णा मणाभिरामा जाव किमंग पुण पासणयाएए?, तण्णं अहं देवाणुप्पिया! सिस्सिणिभिक्खं दलयामि पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया! सिस्सिणिभिक्खं, अहासुहं०,
तए णं सा पठमावई उत्तरपुत्थिमं दिसीभागं अवक्कमइ अवक्कमित्ता सयमेव आभरणालं-कारं ओमयइ ओमुयित्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ करेत्ता जेणेव अरहा अरिहनेमि तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता अरहं अरिहनेमिं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-आलित्ते जाव धम्ममाइक्खियं, तए णं अरहा अरिहनेमि पउमावइं देविं सयमेव पव्वावेइ पव्वावेत्ता सयमेव जक्खिणीए अज्जाए सिस्सि-णित्ताए दलयइ
तए णं सा जक्खिणी अज्जा पउमावइं देविं सयमेव पव्वावेइ जाव संजमेणं संजमियव्वं, तए णं सा पठमावई जाव संजमइ, तए णं सा पठमावई अज्जा जाया इरियासमिया जाव गुत्तबंभयारिणी, तए णं सा पउमावई अज्जा जक्खिणीए अज्जाए अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिज्जइ, बहुहिं चउत्थ-छट्ठम- विविहेहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तए णं सा पठमावई अज्जा बहुपडिपुन्नाई वीसं वासाइं सामण्णपरियागं पाउणइ पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसेड़ [दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[८-अंतगडदसाओ]