SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 55
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ निश्चयावलम्बी का स्वरूप निश्चयी का अभेद समर्थन आत्मा, रत्नत्रयरूप कर्ता के साथ अभेद आत्मा, रत्नत्रयरूप कर्म के साथ अभेद आत्मा, रत्नत्रयरूप करण के साथ अभेद आत्मा, रत्नत्रयरूप सम्प्रदान के साथ अभेद आत्मा, रत्नत्रयरूप अपादान के साथ अभेद आत्मा, रत्नत्रयरूप सम्बन्ध के साथ अभेद आत्मा, रत्नत्रयरूप अधिकरण के साथ अभेद आत्मा, रत्नत्रयरूप क्रिया के साथ अभेद आत्मा, रत्नत्रयरूप गुण के साथ अभेद आत्मा, रत्नत्रयरूप पर्यायों के साथ अभेद आत्मा, रत्नत्रयरूप प्रदेश के साथ अभेद आत्मा, रत्नत्रयरूप अगुरुलघु के साथ अभेद आत्मा, रत्नत्रयरूप उत्पाद-व्यय- ध्रौव्य के साथ अभेद आत्मा में निश्चय, व्यवहार रत्नत्रय मानने का तात्पर्य तत्त्वार्थसार ग्रन्थ का प्रयोजन ग्रन्थकर्ता की नम्रता Jain Educationa International For Personal and Private Use Only 6 7 8 9 FEEL I LA 222 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 23 विषयानुक्रमणिका : 53 334 334 335 335 336 336 336 336 337 337 337 337 337 338 338 338 339 339 www.jainelibrary.org
SR No.003694
Book TitleTattvartha Sara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmitsagar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2010
Total Pages410
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy